सूरजपुर, छत्तीसगढ़: लटोरी चौकी क्षेत्र में पिछले कई दिनों से आतंक मचा रहे एक उत्पाती बंदर को वन विभाग की टीम ने ट्रैंक्युलाइज कर सफलतापूर्वक पकड़ लिया है। यह बंदर अब तक लगभग 15-20 लोगों को घायल कर चुका था, जिससे क्षेत्र में दहशत का माहौल था। बंदर के पकड़े जाने के बाद स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है।
क्या है पूरा मामला?
सूरजपुर जिले के लटोरी क्षेत्र में एक हनुमान लंगूरों का झुंड देखा गया था। इनमें से एक बंदर बेहद आक्रामक व्यवहार कर रहा था और लगातार लोगों पर हमला कर रहा था। वन विभाग द्वारा कई प्रयासों के बावजूद यह बंदर जाल में नहीं फंस रहा था। इसके बाद, वाइल्डलाइफ अधिकारियों और डॉक्टरों की टीम ने इसे ट्रैंक्युलाइज करने का फैसला किया।
कैसे पकड़ा गया उत्पाती बंदर?
वन मण्डलाधिकारी पंकज कमल के अनुसार, वाइल्डलाइफ विशेषज्ञों की मदद से डॉक्टरों की टीम ने बंदर को ट्रैंक्युलाइज किया और उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ा।
घायलों के लिए क्या कदम उठाए गए?
वन विभाग ने सभी घायलों को रैबिज के टीके लगवाने की सलाह दी है। घायलों के इलाज के लिए स्थानीय प्रशासन भी तत्पर है।
स्थानीय निवासियों में राहत लेकिन सवाल बरकरार
बंदर के पकड़े जाने के बाद क्षेत्र में राहत का माहौल है, लेकिन स्थानीय निवासियों का कहना है कि वन विभाग और प्रशासन को बंदरों द्वारा किए जाने वाले हमलों को रोकने के लिए दीर्घकालिक और कारगर योजना बनानी चाहिए।
समाधान की आवश्यकता
सूरजपुर जैसे ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बंदरों का बढ़ता हस्तक्षेप चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए:
- प्रभावी मॉनिटरिंग: वन विभाग को वन्यजीवों की गतिविधियों पर सतर्क निगरानी रखनी चाहिए।
- जन-जागरूकता: लोगों को बंदरों से बचने और सुरक्षित रहने के उपाय बताए जाने चाहिए।
- स्थायी समाधान: लंगूरों को सुरक्षित वन क्षेत्रों में पुनर्वासित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
पंकज कमल, डीएफओ सूरजपुर:
“हमने उत्पाती बंदर को ट्रैंक्युलाइज कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ा है। सभी घायलों को इलाज और रैबिज के टीके लगवाने की सलाह दी गई है। हम इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए दीर्घकालिक समाधान पर काम कर रहे हैं।”