वाराणसी, 28 जनवरी 2025 – माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होने वाली गुप्त नवरात्रि इस बार 28 जनवरी 2025 से 5 फरवरी 2025 तक मनाई जाएगी। इस दौरान तंत्र साधना, देवी की गुप्त उपासना, और अघोरियों की श्मशान साधना का विशेष महत्व होता है।
क्या है गुप्त नवरात्रि?
गुप्त नवरात्रि साल में दो बार आती है – माघ और आषाढ़ मास में। यह नवरात्रि मुख्य रूप से तांत्रिक साधना, देवी की गुप्त शक्तियों की आराधना, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए जानी जाती है। अन्य नवरात्रियों की तुलना में इसमें सार्वजनिक पूजा का स्थान कम होता है, और यह साधकों के लिए एक व्यक्तिगत साधना का समय होता है।
श्मशान साधना का महत्व
गुप्त नवरात्रि के दौरान, विशेष रूप से अघोरी साधक श्मशान में साधना करते हैं। उनका मानना है कि श्मशान साधना में देवी का आह्वान करना अधिक प्रभावी होता है।
- अघोरियों का दृष्टिकोण: अघोरी साधना के माध्यम से आत्मा को भौतिक बंधनों से मुक्त करने और देवी की कृपा पाने का प्रयास करते हैं।
- तंत्र साधना का केंद्र: इन दिनों श्मशान घाट तांत्रिकों और अघोरियों का केंद्र बन जाता है, जहां वे विशेष अनुष्ठान और साधनाएं करते हैं।
पूजा विधि और साधना के नियम
गुप्त नवरात्रि के दौरान श्रद्धालु मां दुर्गा के गुप्त स्वरूपों की आराधना करते हैं।
- देवी के 10 महाविद्याओं की पूजा: इस दौरान काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा होती है।
- व्रत का पालन: श्रद्धालु नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और शुद्धता बनाए रखते हैं।
वैज्ञानिक और धार्मिक पहलू
गुप्त नवरात्रि को केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं देखा जाता, बल्कि इसे मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
- मानसिक शांति: ध्यान और साधना के माध्यम से साधक मानसिक शांति और आत्म-उन्नति प्राप्त करते हैं।
- ऊर्जा का संचार: यह समय आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करने का सबसे उपयुक्त समय माना जाता है।
अघोरियों के अनुभव
काशी के एक प्रसिद्ध अघोरी बाबा ने बताया, “श्मशान में साधना करने से मनुष्य अपने डर और मोह को त्याग सकता है। यहां देवी के आह्वान से हम अपने भीतर की शक्ति को पहचानने की कोशिश करते हैं।”
गुप्त नवरात्रि के दौरान आम श्रद्धालुओं की भूमिका
हालांकि यह समय मुख्य रूप से साधकों और तांत्रिकों के लिए होता है, लेकिन आम श्रद्धालु भी इसे बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं।
- वे अपने घरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं।
- मंदिरों में विशेष अनुष्ठान और हवन का आयोजन किया जाता है।
- श्रद्धालु इस दौरान देवी के समर्पण में समय बिताते हैं।
विशेष स्थानों पर आयोजन
वाराणसी, उज्जैन, हरिद्वार और कामाख्या जैसे पवित्र स्थानों पर गुप्त नवरात्रि के दौरान विशेष आयोजन किए जाते हैं।
- कामाख्या देवी मंदिर: यह स्थान तांत्रिक साधना का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है।
- वाराणसी का मणिकर्णिका घाट: यहां अघोरी साधना के लिए विशेष महत्व रखते हैं।
आधुनिक श्रद्धालुओं के लिए संदेश
आधुनिक श्रद्धालुओं के लिए यह नवरात्रि आत्ममंथन और ध्यान का अवसर हो सकता है। गुप्त नवरात्रि हमें आंतरिक शक्ति को पहचानने और आत्म-विश्वास बढ़ाने का संदेश देती है।
माघ गुप्त नवरात्रि केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मा की गहराई में उतरने का पर्व है। यह समय न केवल साधकों, बल्कि हर व्यक्ति के लिए अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानने और देवी की कृपा प्राप्त करने का अवसर है। देवी दुर्गा के गुप्त स्वरूपों की आराधना से जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का यह पवित्र समय हर श्रद्धालु के लिए अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।