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त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस का विरोध: नई आरक्षण व्यवस्था को ओबीसी के साथ अन्याय बताकर किया आलोचना

अम्बिकापुर:- प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर लागू की गई नई आरक्षण व्यवस्था पर विवाद उठ गया है। 3 दिसंबर को जारी एक अधिसूचना के बाद, जिन जिलों में पेसा कानून लागू है या जो अनुसूचित जाति एवं जनजाति की उच्च आबादी वाले जिले हैं, वहां अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण शून्य हो गया है। इस निर्णय का विरोध करते हुए श्रम कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शफी अहमद खान और जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने प्रदेश सरकार पर ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया है।

नवीन आरक्षण व्यवस्था का विवरण

3 दिसंबर 2024 को जारी किए गए गजट के अनुसार, प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत निर्धारित की गई है। इसके अलावा, यह नियम भी लागू किया गया कि जिन जिलों में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है, वहां OBC आरक्षण शून्य कर दिया जाएगा और संबंधित सीटें सामान्य हो जाएंगी। इससे पहले इन जिलों में OBC वर्ग के लिए 75 प्रतिशत तक आरक्षण निर्धारित था, जिसमें 15 प्रतिशत सीटों पर OBC को आरक्षण का लाभ मिलता था। अब इस नई व्यवस्था के तहत, ओबीसी को पंच, जनपद पंचायत सदस्य, और जिला पंचायत सदस्य के पदों के लिए आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।

कांग्रेस का विरोध और आरोप

प्रेसवार्ता में श्रम कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शफी अहमद खान ने कहा कि 3 दिसंबर के नोटिफिकेशन के बाद ओबीसी वर्ग के जनप्रतिनिधियों का लगातार संपर्क आ रहा है, जो इस निर्णय से आहत हैं। उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग के लिए इस भेदभावपूर्ण निर्णय को कांग्रेस और ओबीसी वर्ग बर्दाश्त नहीं करेगा। शफी अहमद खान ने आगे कहा कि कांग्रेस शासन में प्रदेश की ओबीसी आबादी को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए गए थे, लेकिन वर्तमान राज्य सरकार के इस रवैये से ओबीसी वर्ग को बड़ा झटका लगा है। उन्होंने सरगुजा संभाग में विभिन्न ओबीसी जातियों जैसे रजवार, मानिकपुरी, तुरिया, कुम्हार, जायसवाल, कुशवाहा, और बरगाह जैसी जातियों के वाजिब जनप्रतिनिधित्व पर प्रहार होने का आरोप लगाया।

अरुण साव की भूमिका पर सवाल

जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरुण साव पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने खुद ओबीसी वर्ग के चेहरा होते हुए 16वीं कैबिनेट बैठक में कहा था कि प्रदेश में त्रि-स्तरीय चुनाव में ओबीसी को 50 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा, लेकिन 3 दिसंबर के नोटिफिकेशन ने यह स्पष्ट कर दिया कि सरगुजा और बस्तर संभाग में ओबीसी का आरक्षण शून्य कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अरुण साव ओबीसी वर्ग के हितों की रक्षा करने में असफल रहे हैं और उनकी कथनी-करनी में फर्क दिखाई देता है।

आरक्षण व्यवस्था में संशोधन

राकेश गुप्ता ने यह भी कहा कि सरकार ने ग्राम पंचायत चुनावों को वर्ष 2019-20 को आधार मानते हुए द्वितीय निर्वाचन घोषित किया है, जबकि जनपद पंचायत और जिला पंचायत चुनावों का आधार वर्ष 2024-25 को लिया है। इसके पीछे का उद्देश्य जिला पंचायत और जनपद पंचायत के रोस्टर में बदलाव कर भाजपा समर्थित चुनाव कराना है, ताकि मनमाने ढंग से चुनावों का संचालन किया जा सके।

प्रेसवार्ता में उपस्थित नेता

इस प्रेसवार्ता में महापौर डॉ. अजय तिर्की, हेमंत सिन्हा, मो. इस्लाम, संजय विश्वकर्मा, मुनेश्वर राजवाडे, जगन्नाथ कुशवाहा, दिनेश सोनी, सरोज साहू, अनूप मेहता, गुरुप्रीत सिद्धू, नरेंद्र विश्वकर्मा, अविनाश कुमार, दिनेश शर्मा सहित कई अन्य कांग्रेस नेता उपस्थित थे।

निष्कर्ष
कांग्रेस का यह आरोप है कि प्रदेश सरकार की नई आरक्षण व्यवस्था ओबीसी वर्ग के हितों के खिलाफ है और सरकार ने जानबूझकर ओबीसी को उनके अधिकार से वंचित किया है। सरकार के इस कदम के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने आंदोलन की चेतावनी दी है।

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