छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। राज्य सरकार ने चुनाव में खर्च की सीमा तय कर दी है, जिससे पार्षदों और नगर पालिकाओं के उम्मीदवारों के लिए चुनावी खर्च को नियंत्रित किया जा सके। इसके साथ ही, राज्य सरकार ने नगरीय निकायों के विकास के लिए 88 करोड़ रुपये का फंड भी जारी किया है।
खर्च की सीमा: आबादी के हिसाब से
नगरीय निकाय चुनाव में खर्च की सीमा अब आबादी के आधार पर तय की गई है। यदि किसी नगर निगम की आबादी 3 लाख से ज्यादा है, तो वहां के उम्मीदवार 8 लाख रुपये तक खर्च कर सकते हैं। वहीं, जिन नगर निगमों की आबादी 3 लाख से कम है, वहां खर्च की सीमा 5 लाख रुपये तय की गई है। इसके अलावा, नगर पालिका में पार्षद पद के उम्मीदवारों के लिए 2 लाख रुपये और नगर पंचायत में पार्षद पद के लिए 75 हजार रुपये खर्च करने की सीमा निर्धारित की गई है।
पहले की तुलना में खर्च की सीमा में वृद्धि
पहले नगर निगम के पार्षदों के लिए खर्च की सीमा 5 लाख रुपये थी, जबकि 3 लाख से कम आबादी वाले नगर निगमों के लिए यह सीमा 3 लाख रुपये थी। नगर पालिका में यह सीमा 1 लाख 50 हजार रुपये और नगर पंचायत के लिए 50 हजार रुपये निर्धारित थी।
जल्द लागू हो सकती है आचार संहिता
नगरीय निकाय चुनाव के लिए आचार संहिता की संभावना जल्द जताई जा रही है। 20 दिसंबर को विधानसभा का शीतकालीन सत्र समाप्त हो रहा है, जिसके बाद आचार संहिता की घोषणा की जा सकती है।
आरक्षण की प्रक्रिया भी जारी
राज्य में आरक्षण की प्रक्रिया जारी है। पार्षदों और नगर पालिका अध्यक्षों के आरक्षण का निर्धारण जिला कलेक्टर करेंगे, जबकि मेयर के लिए आरक्षण की प्रक्रिया रायपुर में की जाएगी।
इस बार मेयर का चुनाव होगा सीधा
छत्तीसगढ़ में इस बार मेयर का चुनाव जनता सीधे करेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पहले के फैसले को पलटते हुए, अब अप्रत्यक्ष तरीके से नहीं, बल्कि सीधे वोटिंग के जरिए मेयर का चयन होगा।छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय चुनाव में खर्च की सीमा का निर्धारण, आचार संहिता की जल्द लागू होने की संभावना और आरक्षण प्रक्रिया से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी राज्य के नागरिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मेयर के सीधे चुनाव का फैसला इस बार छत्तीसगढ़ में एक बड़ा बदलाव लेकर आएगा।