अंबिकापुर, जो छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहरों में से एक है, हमेशा से अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के लिए जाना जाता रहा है। हाल ही में, शहर के कलेक्टोरेट परिसर में भगवान हनुमान जी की एक भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है, जो न केवल अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी आस्था का एक नया केंद्र बन गई है।

प्रतिमा की स्थापना का उद्देश्य
हनुमान जी को भारतीय संस्कृति में संकटमोचक और ऊर्जा के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। कलेक्टोरेट जैसे सरकारी कार्यालय में उनकी प्रतिमा स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और कर्मठता को बढ़ावा देना है। यह स्थान अब केवल एक प्रशासनिक केंद्र नहीं बल्कि आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत भी बन गया है।
प्रतिमा की विशेषताएं
- स्थापना का स्थान: कलेक्टोरेट परिसर के मुख्य द्वार के पास एक स्वच्छ और सुसज्जित स्थान पर प्रतिमा स्थापित की गई है।
- आकृति और आकार: प्रतिमा को पारंपरिक रूप में तैयार किया गया है, जिसमें हनुमान जी अपने दिव्य स्वरूप में गदा के साथ दिखते हैं।
- स्थानीय कला का योगदान: प्रतिमा का निर्माण छत्तीसगढ़ के स्थानीय कारीगरों द्वारा किया गया है, जिसमें क्षेत्रीय कला और संस्कृति की झलक मिलती है।

आस्था का नया केंद्र
हनुमान जी की प्रतिमा का अनावरण एक छोटे धार्मिक अनुष्ठान और हवन के साथ किया गया। इसमें कलेक्टोरेट के अधिकारियों, कर्मचारियों और शहर के गणमान्य नागरिकों ने हिस्सा लिया। अब यह स्थान प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है।
- कलेक्टोरेट के अधिकारी प्रतिमा के सामने प्रार्थना कर दिन की शुरुआत करते हैं।
- जनता के लिए भी यह स्थान प्रेरणा का स्रोत बन गया है, जहां लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भगवान हनुमान से प्रार्थना करते हैं।
आध्यात्मिक और मानसिक लाभ
कलेक्टोरेट जैसे व्यस्त और दबावपूर्ण माहौल में, हनुमान जी की उपस्थिति लोगों के मानसिक तनाव को कम करने में सहायक हो सकती है। आस्था और विश्वास से प्रेरित होकर अधिकारी और कर्मचारी अपने कार्यों को और अधिक निष्ठा और समर्पण के साथ पूरा कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत में योगदान
हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करना केवल एक धार्मिक कदम नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा को संरक्षित और प्रोत्साहित करने का प्रयास भी है। इस प्रकार की पहल से न केवल आस्था को बढ़ावा मिलता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सद्भाव भी स्थापित होता है।
अंबिकापुर कलेक्टोरेट में हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करना शहर के लिए एक गौरवपूर्ण पहल है। यह स्थान अब न केवल प्रशासनिक कार्यों का केंद्र है, बल्कि आस्था और प्रेरणा का प्रतीक भी बन गया है। यह कदम यह दिखाता है कि आध्यात्मिकता और प्रशासन साथ-साथ चल सकते हैं और इससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।
“हनुमान जी की उपस्थिति हर व्यक्ति को यह संदेश देती है कि आत्मविश्वास, शक्ति और समर्पण से हर चुनौती का सामना किया जा सकता है।”