डिजिटल युग में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, और अब साइबर ठग अधिक परिष्कृत और खतरनाक तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। हाल ही में, सरगुजा पुलिस अधीक्षक श्री योगेश पटेल (भा.पु.से.) ने नागरिकों को वाट्सएप के माध्यम से भेजी जा रही एपीके फाइल्स और डिजिटल अरेस्ट जैसी फर्जी प्रक्रियाओं से सतर्क रहने की अपील की है। इन तरीकों के माध्यम से ठग मोबाइल हैक कर निजी जानकारी चुरा रहे हैं और मनगढ़ंत आरोपों से डराकर लोगों को ठग रहे हैं।
एपीके फाइल के माध्यम से साइबर ठगी का तरीका
साइबर ठग वाट्सएप पर बैंक खाता अपडेट, आधार लिंकिंग, या किसी सरकारी योजना के नाम पर एपीके फाइल भेज रहे हैं। इस फाइल को डाउनलोड करने के बाद मोबाइल फोन हैक हो जाता है, जिससे ठग उपयोगकर्ता के कैमरा, माइक्रोफोन, जीपीएस, मैसेज और ओटीपी तक पहुंच जाते हैं। इससे वे पीड़ित के बैंक खाते और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
कैसे काम करता है यह तरीका?
- अंजान लिंक भेजना: ठग वाट्सएप पर संदेश भेजते हैं, जिसमें बैंक खाता बंद होने, आधार कार्ड अपडेट, या विशेष ऑफर का लालच दिया जाता है।
- फाइल डाउनलोड: पीड़ित जब उस फाइल को डाउनलोड करता है, तो उसका मोबाइल ठगों के नियंत्रण में आ जाता है।
- संपर्क और ठगी: मोबाइल का एक्सेस मिलने के बाद ठग बैंक खातों और ओटीपी को चुराकर वित्तीय लेन-देन करते हैं।
सावधानियां:
- किसी भी अज्ञात लिंक या फाइल को डाउनलोड न करें।
- अपने फोन की ऑटो-डाउनलोड सुविधा बंद करें।
- व्हाट्सएप पर टू-स्टेप वेरिफिकेशन ऑन रखें।
- संदिग्ध फाइल डाउनलोड करने पर तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें।
डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से ठगी
साइबर ठग अब डिजिटल अरेस्ट जैसी फर्जी प्रक्रिया का उपयोग कर रहे हैं। इसमें ठग पीड़ित व्यक्ति को झूठे आरोपों में फंसाने का डर दिखाते हैं और उनसे मोटी रकम ऐंठते हैं।
कैसे होती है डिजिटल अरेस्ट ठगी?
- झूठे आरोप: ठग पीड़ित को वीडियो कॉल करते हैं और दावा करते हैं कि वह किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल है।
- डराने की प्रक्रिया: ठग खुद को पुलिस, सीबीआई, या अन्य एजेंसी का अधिकारी बताते हैं और वीडियो कॉल के दौरान नकली पुलिस स्टेशन का बैकग्राउंड दिखाते हैं।
- धमकी और पैसे की मांग: ठग पीड़ित से कहते हैं कि मामले को सुलझाने के लिए उसे भारी रकम का भुगतान करना होगा।
डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय:
- झूठे दावों से न डरें: पुलिस या अन्य एजेंसियां व्हाट्सएप या वीडियो कॉल के जरिए कोई कार्यवाही नहीं करतीं।
- अंजान नंबर से कॉल न उठाएं।
- किसी भी परिस्थिति में ठगों के झांसे में न आएं।
- तुरंत 1930 हेल्पलाइन पर संपर्क करें और नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करें।
साइबर ठगी के बढ़ते मामले और जागरूकता अभियान
सरगुजा पुलिस अधीक्षक श्री योगेश पटेल ने नागरिकों से सतर्क रहने की अपील की है। उन्होंने बताया कि ठगी के नए-नए तरीके अपनाकर ठग लोगों को निशाना बना रहे हैं।
सरगुजा पुलिस की पहल:
- जागरूकता अभियान: साइबर ठगी के बारे में नागरिकों को सतर्क करने के लिए विभिन्न अभियान चलाए जा रहे हैं।
- साइबर सुरक्षा के टिप्स: आम जनता को डिजिटल माध्यमों का सुरक्षित उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
- तत्काल शिकायत दर्ज कराने की अपील: साइबर अपराध से पीड़ित लोग तुरंत 1930 हेल्पलाइन पर संपर्क कर सकते हैं।
साइबर सुरक्षा के लिए आवश्यक टिप्स
- अनजान लिंक न खोलें: किसी भी अज्ञात स्रोत से मिले लिंक या फाइल को न खोलें।
- ऑटोमैटिक डाउनलोड बंद करें: अपने फोन की सेटिंग में ऑटोमैटिक डाउनलोड ऑप्शन को बंद कर दें।
- टू-स्टेप वेरिफिकेशन लागू करें: अपने सभी सोशल मीडिया और बैंकिंग ऐप्स में टू-स्टेप वेरिफिकेशन चालू रखें।
- फर्जी कॉल्स से बचें: अज्ञात नंबर से आए वीडियो कॉल्स को नजरअंदाज करें।
- सतर्क रहें: किसी भी संदिग्ध गतिविधि को गंभीरता से लें और तुरंत पुलिस को सूचित करें।
- हेल्पलाइन नंबर: किसी भी साइबर ठगी की घटना के तुरंत बाद 1930 हेल्पलाइन पर संपर्क करें।
गंभीरता से लें अपील
साइबर ठगी के बढ़ते मामलों के बीच सतर्कता ही सुरक्षा की कुंजी है। नागरिकों को चाहिए कि वे अनजान फाइल्स, लिंक, और वीडियो कॉल्स से बचें। सरगुजा पुलिस द्वारा शुरू किए गए जागरूकता अभियान को गंभीरता से लें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत शिकायत करें।
हेल्पलाइन:
ऑनलाइन ठगी की शिकायत के लिए तुरंत 1930 पर संपर्क करें।