अम्बिकापुर :- हिंदू धर्म में गोपाष्टमी का पर्व गायों के प्रति श्रद्धा और उनके महत्व को दर्शाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और गोरक्षा से जुड़ा हुआ है, जिसे कार्तिक माह के शुक्ल अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गायों को चराने की लीला की शुरुआत मानी जाती है, जो उनके साहस और गोरक्षा के प्रति प्रेम को प्रकट करती है।
गोपाष्टमी पर अंबिकापुर के गौ आश्रम में भव्य आयोजन
इसी कड़ी में अंबिकापुर के खलीबा स्थित गौ आश्रम में भी गोपाष्टमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर गायों की विशेष पूजा अर्चना की गई। गायों को नहलाकर उनका श्रृंगार किया गया, उन्हें चुनरी ओढ़ाई गई और फूलों की माला पहनाई गई। साथ ही, गायों को गुड़, पुरी, हलवा, केला और अन्य पकवानों के साथ फल-फूल भी खिलाए गए।
पारंपरिक पूजा और सुंदरकांड का पाठ
गोपाष्टमी के इस अवसर पर आश्रम में सुंदरकांड का पाठ भी किया गया, जिसमें भक्तों ने भगवान श्रीराम और गौ माता का आशीर्वाद प्राप्त किया। आश्रम के सदस्य इस दिन को केवल गोरक्षा के रूप में नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जीव दया के महत्व को समझाने वाले अवसर के रूप में भी मानते हैं।
गोपाष्टमी का संदेश
आश्रम के संरक्षक अजय अग्रवाल ने कहा, “गोपाष्टमी न केवल गोरक्षा का प्रतीक है, बल्कि यह हमें पर्यावरण संरक्षण और जीवों के प्रति दया भाव रखने की प्रेरणा भी देता है। हिंदू संस्कृति में गायों की पूजा और संरक्षण को अत्यधिक महत्व दिया गया है, और यह पर्व उस आस्था को साकार करता है।”
गौ सेवा मंडल के नगर सचिव हिमांशु जायसवाल ने भी इस अवसर पर कहा, “गोपाष्टमी का पर्व हमें यह संदेश देता है कि हमें गायों के प्रति अपनी श्रद्धा और दायित्व को समझते हुए, उनके संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। यह पर्व हमें न केवल गोरक्षा का बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है।”